तुर्की-अजरबैजान बॉयकॉट: भारतीयों के गुस्से ने दिखाई ताकत, टूरिज्म से लेकर तेल तक हिली इनकी अर्थव्यवस्था!

 


जानिए कैसे भारतीयों ने तुर्की और अजरबैजान के बॉयकॉट से इन देशों को सबक सिखाया। पाकिस्तान को मिली मदद की कीमत चुकाने लगा तुर्की, भारतीय यात्रियों ने टूर प्लान किए कैंसिल!

वो कहावत याद है? "जैसे को तैसा!"

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को मिसाइल और ड्रोन जैसी सैन्य मदद देकर भारत के खिलाफ जो खेल खेला, उसका जवाब भारतीय जनता ने बिना तलवार उठाए दिया। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan ट्रेंड करते ही तुर्की और अजरबैजान की अर्थव्यवस्था की चूलें हिल गईं। ये अभियान सिर्फ ट्वीट्स तक नहीं, असल ज़िंदगी में दिखने लगा है।

"हम नहीं जाएंगे तुर्की!" – भारतीय यात्रियों ने मचाई धूम

जब दिल्ली के रहने वाले राहुल शर्मा ने अपनी हनीमून के लिए तुर्की का टिकट कैंसिल किया, तो उन्होंने फेसबुक पर लिखा: "पाकिस्तान का साथ देने वाले देश में हमारा पैसा नहीं जाएगा।" राहुल अकेले नहीं हैं। पूरे भारत से हज़ारों लोगों ने इन देशों की यात्रा रद्द की है। कुछ आँकड़े समझिए:

  • पूर्वांचल से 15,000+ यात्री: सिर्फ तीन दिन में इतने लोगों ने तुर्की-अजरबैजान ट्रिप कैंसिल की।

  • ट्रैवल एजेंसियों का साथ: कॉक्स एंड किंग, एसओटीसी जैसी कंपनियों ने कैंसिलेशन चार्ज तक माफ़ कर दिया।

  • पर्यटकों का गुस्सा: "हम बैंकॉक या जॉर्जिया जाएँगे, लेकिन तुर्की नहीं!" – ये ट्रेंडिंग व्हाट्सएप स्टेटस बन गया है।

    तुर्की का टूरिज्म धराशायी: "भारतीयों के बिना हॉटलों में सन्नाटा!"

    तुर्की के इस्तांबुल में होटल मालिक अहमत कहते हैं: *"मई-जून में 70% बुकिंग भारतीयों की होती थी। इस साल 40% रूम खाली हैं।"* आँकड़े भी यही बता रहे हैं:

    • 2024 में 3 लाख भारतीय तुर्की घूमने गए, जो उनके टूरिज्म का बड़ा हिस्सा है।

    • अजरबैजान में 70% पर्यटक भारतीय: यहाँ तो लगता है जैसे भारतीयों ने बॉयकॉट का ऐलान करके इनकी जेब पर डाका डाल दिया!

      व्यापार में भी मचा तूफान: 10 अरब डॉलर का सौदा डगमगाया

      तुर्की को भारत से जो चीज़ें सबसे ज़्यादा पसंद हैं, वो हैं – भारतीय सेब, मशीनें, और लोहा-इस्पात। लेकिन अब भारतीय कारोबारी भी मोड में आ गए हैं। गुजरात के एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: "हम तुर्की को माल निर्यात करने से हिचक रहे हैं। ग्राहकों ने धमकी दी है कि अगर तुर्की के साथ काम किया तो बहिष्कार करेंगे।"

      • 2023-24 का व्यापार: 10.43अरब(निर्यात:6.65B, आयात: $3.78B)।

      • खतरे में क्या है? तुर्की के टेक्सटाइल और अजरबैजान का तेल, जिसे भारत में बेचना मुश्किल होगा।

        क्यों डर रहे हैं तुर्की-अजरबैजान?

        1. जीडीपी का 10% टूरिज्म पर: इन देशों की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन ऑक्सीजन जैसा है।

        2. भारतीयों का पैसा: अजरबैजान में हर यात्री औसतन ₹85,000 खर्च करता है। 2.5 लाख यात्रियों ने पिछले साल 469 करोड़ रुपये की रकम छीनी!

        3. पाकिस्तान की गलती की सज़ा: तुर्की ने पाक को जो ड्रोन दिए, उसकी कीमत अब उसे चुकानी पड़ रही है।

          क्यों डर रहे हैं तुर्की-अजरबैजान?

          1. जीडीपी का 10% टूरिज्म पर: इन देशों की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन ऑक्सीजन जैसा है।

          2. भारतीयों का पैसा: अजरबैजान में हर यात्री औसतन ₹85,000 खर्च करता है। 2.5 लाख यात्रियों ने पिछले साल 469 करोड़ रुपये की रकम छीनी!

          3. पाकिस्तान की गलती की सज़ा: तुर्की ने पाक को जो ड्रोन दिए, उसकी कीमत अब उसे चुकानी पड़ रही है।

            "हम क्या कर सकते हैं?" – आपकी छोटी सी कोशिश बड़ा असर डालेगी!

            • तुर्की के प्रोडक्ट न खरीदें: होम डेकोर, ड्राई फ्रूट्स (जैसे तुर्की अखरोट), या 'मैड इन टर्की' टैग वाले कपड़ों से परहेज करें।

            • अजरबैजानी तेल का बहिष्कार: पेट्रोल पंपों पर देखें कहीं 'Azeri Oil' तो नहीं लिखा।

            • सोशल मीडिया पर जागरूक बनें: वायरल हो रहे रील्स और पोस्ट्स शेयर करें।

              लोग क्या पूछ रहे हैं? (FAQs)

              Q1. क्या सच में बॉयकॉट से फर्क पड़ेगा?

              • जवाब: ज़रूर! तुर्की के होटल मालिक रो रहे हैं, और उनकी सरकार पाकिस्तान को गलत साथ देने का मलाल कर रही है।

              Q2. तुर्की जाने की बुकिंग कैंसिल करने पर पैसे मिलेंगे?

              • जवाब: हाँ! एयर इंडिया, इंडिगो समेत कई एयरलाइन्स और ट्रैवल कंपनियाँ बिना चार्ज कैंसिलेशन दे रही हैं।

                निष्कर्ष: "जनता की ताकत से डरता है हर तानाशाह!"

                यह बॉयकॉट सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि भारतीयों के गर्व और एकता का प्रतीक है। तुर्की को समझ आ गया है कि पाकिस्तान का साथ देकर उसने भारत जैसे बड़े बाज़ार और दोस्त को कैसे खो दिया। अब सवाल यह है: "क्या तुर्की और अजरबैजान सबक सीखेंगे, या फिर भारतीयों का गुस्सा और बढ़ेगा?"

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